नेहरू अस्पताल

 

रोगीयों की देखभाल के लिए भूमिकारूप व्यवस्था मै नेहरू अस्पताल (१४०० बिस्तरों-वाला अस्पताल जिसमे ५ निजी वार्डों में ९८ कमरे हैं) और बुनियादी विज्ञान के लिए दो अनुसंधान ब्लॉक शामिल है। शिक्षण के लिए आधारिक संरचना के तौर पर व्याख्यान थिएटर, सम्मेलन हॉल, १००० की क्षमता वाला एक सभागार, एक पुस्तकों से सुसज्जित पुस्तकालय, इंटरनेट / ईमेल सहित कंप्यूटर सुविधायेँ और बोर्डिंग और लॉजिंग सुविधायेँ शामिल हैं। सहायक/समर्थक सुविधाओं के लिए पशु घर, केंद्रीय कार्यशाला, कपड़े धोने की लॉन्ड्री और सी॰एस॰एस॰डी॰ बनायी गई हैं। शिक्षण संकाय मैं ३३० उच्च योग्यता-प्राप्त डॉक्टर हैं। २४६ वरिष्ठ निवासिय चिकित्सक और ३७० कनिष्ठ निवासिय चिकित्सक विभिन्न एम॰डी॰, एम॰एस॰, डी॰एम॰ और एम॰सी॰एच॰ पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकृत हैं। इनके अलावा, नर्सिंग और पैरामैडिकल पाठ्यक्रमों में भी ५६९ विद्यार्थी संस्थान में पढ़ते हैं।

 

पी॰जी॰आई॰एम॰ई॰आर॰ राष्ट्रीय महत्व के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक है। यह कई उत्तरी भारत के राज्यों के लिए एक परामर्श व मरीजों की और आगे की देखभाल का केंद्र है। यह इन मरीजों को तृतीयक-स्तर की देखभाल, आपातकालीन चिकित्सा, आंतरिक चिकित्सा, शल्य चिकित्सा और गहन देखरेख (इंटैन्सिव केयर) की सेवाएं प्रदान करता है।

 

उन्नत बाल्य रोग केंद्र (ए॰पी॰सी॰) मै बच्चों की देखभाल के लिए कई विशेषताएं हैं जैसे की बाल्यकालीन एलर्जी इम्यूनोलॉजी, रुधिर विज्ञान और कैंसर विज्ञान, बाल स्नायुविज्ञान और तंत्रिकाविज्ञान, छाती और फेफड़ों के रोग, बल हृदय रोग, नेफ्रोलॉजी (वृक्क विज्ञान), आनुवांशिक और चयापचय रोग इत्यादि। नवजात गहन चिकित्सा कक्ष १००० बच्चों को जीवन संरक्षण सहायता और ५०० ग्राम से ऊपर के वज़न वाले २०० नवजात शिशुओं को कृत्रिम वेंटिलेशन प्रदान करता है। देश का पहला डी॰एम॰ (नियोनेटोलॉजी) प्रशिक्षण कार्यक्रम यहाँ शुरू हुआ था। पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट प्रतिवर्ष १००० से अधिक बच्चों को गहन उपचारात्मक देखभाल प्रदान कराता हैं। इन मे से ६० बच्चे कृत्रिम वेंटिलेशन भी प्राप्त करते हैं। बच्चों के लिए अलग से २४ घंटे आपातकालीन सेवा उपलब्ध है.

 

उन्नत नेत्र केन्द्र में कई विशेष क्लीनिक और सेवाओं चलायी जाती हैं जैसे की लेंस, कॉर्निया, यूविया, मोतियाबिंद, कांचाबिन्दु (ग्लोकोमा), रेटिना और वित्रयस, बाल नेत्र चिकित्सा और तिर्यकदृष्टि, संपर्क / निकटवर्ति नेत्र लेंस और मंददृष्टि सहायक यंत्र, ओकुलों-प्लास्टिक (लोचन नवसृजन की शल्यप्रक्रिया) और नेत्र कैंसर क्लिनिक इत्यादि। भारत में पहली बार रेटिना रोगों और मोतियाबिंद का लेजर उपचार जुलाई १९८९ में शुरू किया गया था। उत्कृष्ट स्तर की रोगी देखभाल और सेवा उन्नत नेत्र केन्द्र का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

 

संस्थान मे नर्सिंग शिक्षा का राष्ट्रीय संस्थान (नाईन) भी है जो की नर्सिंग और जन्म के समय दाई के काम के वैज्ञानिक विकास के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू॰एच॰ओ॰) का एक महत्वपूर्ण सहयोगी केंद्र है।

 

संस्थान ने आंतरिक चिकित्सा और शल्य चिकित्सा पद्यतिओं में उत्कृष्ट विशेषताओं और घटकों से विभिन्न विभागों को जन्म देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।

 

आंतरिक चिकित्सा (मेडिकल)

शल्य चिकित्सा (सर्जिकल)

कार्डियोलॉजी (हृदय रोग)

कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर शल्य चिकित्सा

एंडोक्राइनोलॉजी

न्यूरोसर्जरी

गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी

बाल शल्य चिकित्सा

हेप्टोलॉजी (जिगर रोग)

प्लास्टिक सर्जरी

नेफ्रोलॉजी (गुर्दा रोग)

यूरोलॉजी

न्यूरोलॉजी (स्नायुविज्ञान और तंत्रिकाविज्ञान)

जी॰आई॰ सर्जरी

नियोनेटोलॉजी (नवजात शिशु रोग)

रेडियोथेरेपी

न्यूक्लियर मेडिसिन

प्रत्यारोपण सर्जरी

पल्मोनरी मेडिसिन (छाती और फेफड़ों के रोग)

हस्तक्षेप रेडियोलॉजी

 

गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र मे देशभर से आए रोगी बड़ी संख्या मैं इलाज पाते है। देश में पहली बार गुर्दा प्रत्यारोपण जून १९७३ में इसी संस्थान में किया गया था। संस्थान एक सक्रिय स्वैच्छिक रक्त आधान और रक्त घटक उत्पाद सेवा चलाता है। हेप्टोलोजी का विभाग पूरे देश में एकमात्र और अद्वितीय है।

 

संस्थान के शोध खंड (रिसर्च ब्लॉक) का उद्घाटन भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 1968 में किया गया था। दो शोध खंड हैं: खंड ए और बी। इन खंडों मैं पैथोलॉजी के घटक (हिस्टोपैथोलोजी, हेमेटोलोजी, इम्यूनोंपैथोलोजी और साइटोलोजी एवं गाइनेकोलोजिक पैथोलोजी विभाग), जैव रसायन विभाग (बायोकेमिस्ट्री), मेडिकल सूक्ष्म जीव विज्ञान, परजीवी विज्ञान, वाइरोलोजी, औषधि शास्त्र (फार्माकोलोजी) और प्रायोगिक चिकित्सा स्थापित हैं। डॉ. तुलसीदास पुस्तकालय एक केंद्रीय स्थान में स्थित है जो की दोनों अनुसंधान खंडों और अल्पाहार भोजनालय के समीप है। भार्गव सभागार में १००० लोगों के बैठने की क्षमता है। इसका प्रयोग विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यों के लिए किया जाता है।