गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र
पीजीआई का प्रत्यारोपण शल्य चितिकसा केंद्र भारत में प्रत्यारोपण में अग्रदूतों में से एक है। सबसे पहले गुर्दा प्रत्यारोपण जून १९७३ को यहां प्रदर्शित किया गया था। वर्तमान भारत में यह गुर्दे के प्रत्यारोपण के लिए समग्र सुविधाओं को उपलब्ध कराने वाले सबसे बड़े केन्द्रों में से एक है।
यह विभाग मरीजों मैं बेहद लोकप्रिय है क्योंकि यहाँ न्यूनतम शुल्क में गुर्दे का प्रत्यारोपण होता है। इसलिए यहाँ न केवल आसपास के राज्यों से बल्कि उत्तर प्रदेश, पूर्वोत्तर राज्यों, उदिशा, बिहार, झारखंड, नेपाल आदि से भी मरीज़ आते हैं। एक मानक प्रत्यारोपण की कुल व्यय लगभग ७०,०००/- रूपये है। इसमे दवाए और अंगदाता एवं प्राप्तकर्ता के अस्पताल में 2 हफ्ते रहने की लागत शामिल हैं।
विभाग के ६ बिस्तर वाले आई॰सी॰यू॰ को हाल ही में १२ बिस्तरों मैं परिवर्तित करा गया है। इसका एक अलग आपरेशन थियेटर परिसर है जो प्रत्यारोपण और संबंधित शल्य क्रियाओं के लिए समर्पित है। इसमे आपरेशन और उसके पश्चात की अवधि में रोगियों के प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक उन्नत उपकरणों का बाहुल्य है। इस विभाग को अब तक १५०० से अधिक शवदाता और जीवित गुर्दे प्रत्यारोपित करने का अनुभव है। कई जटिल स्वास्थ्य स्थितियों में भी गुर्दे का प्रत्यारोपण यहाँ किया गया है। इसके अलावा, हिमोडायल्सिस के लिए विभिन्न नाड़ी-भेदन प्रक्रियाओं में यहाँ के डाक्टर माहिर हैं। प्रमुख संवहनी शल्य चितिसा प्रक्रियाओं को भी वे करते आए हैं।
शवदात्त अंगों का प्रत्यारोपण भी उपलब्धता के मुताबिक इस केंद्र मैं किया जा रहा है। यहाँ इन अंगों के जरूरतमंद मरीजों की एक सूची भी रखी जाती है। इस केंद्र में प्रत्यारोपण के बाद अंग-ग्रहीत मरीजों के जीवित रहने के आंकड़े पूरे भारत में सबसे अच्छे आंकड़ों से तुलनीय हैं। विभाग ने २००४ में दाता गुर्दे की बहाली के लिए उन्नत लेप्रोस्कोपिक तरीकों की शुरूआत करी थी। वर्तमान काल में सभी दानदाताओं में लेप्रोस्कोपिक गुर्दाबहाली करी जा रही है।
IMAGE CAPTION: (अंगदाता की लेप्रोस्कोपिक नेफ़्रेक्टोमी प्रगति में)
यह विभाग सक्रिय रूप से अनुसंधान व शोध में लीन हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं में यहाँ से कई प्रकाशन हुए हैं। मौजूदा समय में अनुसंधान निम्न क्षेत्रों में हो रहा है: -
१॰ गुर्दे प्रत्यारोपण में विरोधी एच॰एल॰ए॰ एंटीबॉडी की भूमिका २. गुर्दे प्रत्यारोपण में क्रमाचारिक बायोप्सी में सी४डी तलछट ३॰ गुर्दे प्रत्यारोपण अस्वीकृति में साइटोकिन्स की अभिव्यक्ति ४. गुर्दा प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं मैं एच॰सी॰वी॰ विषाणु की गतिशीलता और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएँ ५॰ जीवित दाता से गुर्दे प्रत्यारोपण हेतु एक स्टेरॉयड-मुक्त प्रतिरक्षादमन मूललिपि का विकास
यह विभाग प्रत्यारोपण-संबंधित बुनियादी विज्ञान में खोज के लिए और रोगी देखभाल व अनुसंधान के लिए पी॰सी॰आर॰ और प्रवाह कोशिका मापण यंत्र के क्रय की प्रक्रिया में भी संलग्न है। |